।। दोहा ।।
गुरु पद पंकज नाई सिर शारद करूँ प्रणाम
विघ्नहरण जय गणपति जय सितापति राम
भय मे भारत है फँसा बिलखे संत समाज
जन्म भूमि इस आस मे आये योगी राज़
।। चौपाई ।।
जय योगी जय भगवाधारी महाबली जय असुर सँहारी !
तेजपुँज तुम हो अवतारी मायाअसुर दलों पर भारी ॥
भगवाधारी हठी महँता निर्भय तुम्हरे बल से संता !
धर्म सनातन की रखवारी गुरु गोरख के सुनहूँ पुजारी ॥
माया असुर निकट नही आवें हर हर योगी नाम सुनावे !
योगी भाषा सत्य सुनाती संसद मे तब चुप्पी छाती ॥
तुम साहस के रुप हो दूजा महाकाल की करते पूजा !
हर हर बम बम बोले काशी जय जय हो गोरखपुर वाशी ॥
नाम प्रताप रुप बलवंता मायाअसुर दलों के हंता !
करुणा सागर सज्जन कर्मी राजयोग ज्ञाता हठधर्मी !!
हिंदू जन के तुम्ही दुलारे सत्य सनातन के रखवारे !
जात पात का भेद ना पाते जो योगी के दर पर आते !!
सबकी सुनते सबको भाते गोरखपुर मे अलख जगाते !
बैठी यूपी आश लगाये सीएम अबकी योगी आये !!
राम की धरती बाबर ढोती जन्मभूमि भी बैठी रोती !
चाह यही है योगी आये जन्मभूमि निज गौरव पाये !!
गाय पुकारे कहे विधाता योगी बिन कोई ना भाता !
गो पालक हे सुनो कन्हैया आहत रोती तुम्हरी गैया !!
दुष्कर्मों का फल कब दोगे अपने कुल से बदला लोगे !
लगता ये मुगलों के जाये हिंदू इनको तनिक ना भाये !!
मथुरा मे तुम कैद पड़े हो मीनारों मे मौन खड़े हो !
कब काशी को मान मिलेगा हिंदू का कब ह्रदय हिलेगा !!
तालिबानी बकरे भागे राम कृष्ण के वंशज जागे !
माथे पर निज तिलक लगाओ कुर्सी पर योगी बैठाओ !!
त्याग तपस्या का फल पाओ चोर लुटेरे दुर भगाओ !
हर घर पर भगवा फहरा दो विद्रोही कोहराम मचा दो !!
माँग रहे पंडित मन भाये सीएम बन अब योगी आये !
राम राज़ की दुबे आशा हो बृजेश पूरण अभिलाषा !!
।। दोहा ।।
यह योगी चालीसा है कर लो इसका जाप !
निकट ना आये आसुरी दल का कोई ताप !!