।। चौपाई ।।

जय जय जय सुसवाणी माता । भक्त चरण मे शीश नवाता ।१।

नवनव ज्योत भक्त हितकारी । शरणागत की बाधा टारी

नागौर नगर मे जन्म लियौ माँ सुराना कुल को धन्य कियो माँ ।३।

सौम्यरुप ले माँ अवतारिया अनगिन रुप माँ अम्बे धरिया ।४।

दिव्यरुप माँ नैन विशाला । हिवडे हार वैजयन्ति माला ।५।

काना कुन्डल मुकुट अति सोहे । ब्रम्हा,विष्णू,शिव मन मोहे ।६।

मेलो देखन माता पधारा संग सहेला लस्कर सारा ।७।

दुष्ट मुगलो मन बुरी विचारी । दुष्ट मरो संग सेना सारी ।८।

अत्याचारी को मात खपाया । ले त्रिशुल माँ किया सफ़ाया ।९।

चढया सिंह मोरखाणा आया । शक्ति स्थल शंकर से पाया ।१०।

सब जन कैर का भाग सराया । कालजिये मे मात बसाया ।११।

धन्य मात तु कैरां वाली । दुष्ट संहारे बन मतवाली ।१२।

कुल कर गरिमा जग में गूँजी । माँ की ममता सबसे ऊँची ।१३।

बारह सो उन्नती से माता मही समाया ।

सहस्त्र दोय सो बत्तीसे प्रकत होय फ़िर आया ।

काकासा ने परचो दिन्यो । आय मोराणे मन्दिर किन्यो ।१४।

भाटयां से माँ वाचा किन्हा । पूजा मांग राजपद दिन्हा ।१५।

माँ सुसवाणी सब दुख हरणी कैरां वाली सब सुख करनी ।१६।

तीनू लोकां नाम तिहारो । शीतल नैना आप निहारो ।१७।

आधि व्याधि निकट नही आवे । सुसवाणी को नाम सुनावे।१८।

धन्य कहत इन्द्रादिक देवा । आय भक्त करै नित सेवा ।१९।

दर्श करत दुख दारिद्र भागे । सोया भाग दर्श से जागे ।२०।

खडग त्रिशुल माँ हाथ विराजे । संख चक्र गदा अति साजे ।२१।

भूत पिशाच नाम से भागे । डाकिनी-शाकिन थर-थर कापे ।२२।

चण्डी चामुण्डा वन गाजो । भक्त बचावण बेगा आजो ।२३।

साचे मन से माँ को धावे । सब सुख भोग अमर पद पावे ।२४।

रैन निवारो हे जग माता । लक्ष्मी रुप माँ उस घर आवे ।२५।

कष्ट निवारो हे जग माता । दयामती अम्बे सुख दाता ।२६।

सिहं वाहिनी प्राण उवारौ । सब भक्तन के संकट टारो ।२७।

तीन लोक मे ज्योती चमके । कोटी सुर्य सम मुखमण्डल दमके ।२८।

दीन दुखी तुझ द्वारे आवे । वांछित फ़ल माँ तुझसे पावे ।२९।

सद बुद्धि भक्ति की दाता । दयामयी माँ जग विख्याता ।३०।

ममतामयी माँ पुरो आशा । मातृ चरण के हम है दासा ।३१।

नव अवतार लक्ष्मी वन आया । नच परचा दे रंग लगाया ।३२।

सुख शान्ति लक्ष्मी बन बरस्या । दीन दुखी माँ सव जन हरषा ।३३।

तुम सम देव न दुजो दानी । कृपा करो माता सुसवाणी ।३४।

जान कुपातर दया करिज्यो । भक्तन का भण्डार भरीज्यो ।३५।

धवल शिखर पर ध्वजा फ़रुखे । भक्त जन को हिवडॊ हरशे ।३६।

’मान’ह्रुदय मे आप विराजो । याद करु जब वेगा आज्यो ।३७।

मात दास को गले लगावे । ऋद्धि सिद्धि बल बुद्धि पावे ।

सज श्रृंगार बहु बेटया आवे । गंठ जोडा कि जात दिरावै ।३९।

जात झडूला खुब चढावें । जातिडा जयकार बुलावे ।४०।

।। दोहा ।।

शक्ति भक्ति सद बुद्धि को, माता देवो दान ।

दास चरण को मान दुगड, सदा करे गुनगान ॥

श्री सुसवाणी चालीसा

।। दोहा ।।

मात तुम्हारे नाम का, घर-घर में गुणगान ।

विनती तुमसे एक ही, रखियो मेरो ध्यान ॥

स्वर्ग से सुन्दर वो जगह, मात जहाँ ली विश्राम |

जग में न्यारो है बड़ो, मैया मोरखाणा धाम ॥

संवत् बारह सौ उन्नीस, आसोज सुदी द्वितीय

सेठ सतिदास के घरां, माँ अवतार लिया

।। चौपाई ।।

जै जै जै सुसवाणी माता । जो कोई प्रेम से तुमको ध्याता ॥

श्रद्धा से झुक जाता माथा । जो भी तेरी गाये गाथा ||

कोई पैदल चलकर आवे । पसर-पसर कर कोई जावे ॥

लाल ध्वजा मंड पे लहरावे | नारेलां की भेंट चढ़ावें ॥

मंगल करनी हे सुखदायी । हे सुसवाणी हे महामाई ॥

संकट में तू दौड़ी आई । जग नेह तेरी महिमा गयी ||

तू कल्याणी तू वरदानी । हम मूरख है और अज्ञानी ॥

भूल पे मैया ध्यान ना दीजो | हमको अपनी शरण में लीजो ||

तू मैया मन की अति भोली । भगतों की दर पे आवे टोली ॥

तू सब पे करुणा बरसाती । प्रेम के रंग में सबको नूहती ॥

आपकी भक्ती प्रेम से मन होवे भरपूर | राग द्वेष से चितमेरा कोसों भागे दूर ॥

जो भी तेरे दर पे आता । खाली हाथ नहीं वो जाता ॥

भर देती है झोलियां खाली । तू हर बगिया की है माली ॥

सच्चे भगत को परचा देती । स्वप्न में आके बातें करती ॥

मुख से जो बोले जयकारा । कभी न फिरता मारा-मारा ॥

जो जीवन से हार गया है । वो माता के द्वार गया है ||

मैया उसकी बाहं पकडती । पल में संकट दूर वो करती ॥

कंचन थाल कपूर की बाती । ज्योत जले माँ की दिन राती ॥

आरती सच्चे मन से जो करता । उसको ही सच्चा फल मिलता ॥

आप वीराजो नगर मोरखाणा । सेवा करता दुग्गड़ सुराणा ॥

रतन जडित सिंहासन बैठी । धुप दीप से पूजा होती ॥

चुडा चूनड मेहँदी भाये । पुष्पों की बौछार हो माथे ॥

द्वार तेरे माँ नौबत बाजे । छप्पन व्यंजन भोग लगावे ||

अंधे को औखें कोढ़ी को काया । निर्धन को भर देती माया ॥

बांझ को देती सूत सुकुमारा । तेरी दया का पार ना पारा ॥

सेवक द्वार खड़े माँ तेरे । चंवर डुलावे माँ बहुतेरे ॥

सुर नर मुनी सब सकल मनावे| हरख – हरख तेरो जस गावे ॥

शरण में आ सेवक गुण गाता । कृपा करे सुसवाणी माता ॥

विराजी जिस दिन से महामाई । दिखलाई अनुपम सकलाई ॥

उजड़ा खेड़ा फिर बसे, निर्धनीया धन होए । जो सुसवाणी ने पूजता, आनन्द मंगल होए ||

दया की वर्षा है बरसाई । खूब बड़ाई वेदों ने गाई ॥

सुसवाणी माँ की महिमा भारी । दर्शन को आते नरनारी ॥

शक्ति रूप में व्याप्त है मैया । सबकी पार लगाती नैया ॥

महिमा तेरी जग में छाई । घर-घर में जाती है गाई ||

माँ के दर्शन नित्य करे जो । उनकी सब विपदायें हरे वो ॥

अन्न-धन्न से भंडार माँ भरती । सबका मैया मंगल करती ॥

सुसवाणी माँ की प्रभुताई । ना कवियों के कहने में आई ॥

माता के सत की सकलाई । विश्व में व्यापक होकर छाई ॥

धरती में समा गई भवानी | केर का पेड़ भी कहता कहानी ॥

जो यह पढ़े सुसवाणी चालीसा । मात कभी ना लेती परीक्षा ॥

दुग्गड़ सुराणा चरणों का चेरा । करना मात हृदय मँह डेरा ॥

जो शरणागत माँ की आवे । “गोपी” मनवांछित फल पावें ॥

।। दोहा ।।

सुसवाणी मां आप हो, पाप की मोचन हार ॥

छमा करो अपराध सब, कर दो भव से पार ||

आपकी भक्ति में सदा, लगा रहे ये दास ॥

दर्शन देगी माँ मुझे, पूरा है विश्वास ॥

सुस्वानी माता चालीसा हिंदी में पढ़े - सुस्वानी माता चालीसा

श्री सुस्वानी माता चालीसा Suswani Mata Chaalisa

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