।। दोहा ।।

धर्म धजाओ फरफरे घोड़ा खुंदी गाय अपंगों अंगको पाता, अंध दीखते हो जाय

बांज का ताना टालनेवाली दलवे की दातार सतियो के सत रखने वाली अनंत माँ का प्यार

मन का मनोरा बल राजा पुरा करे जन्मो का ताने रानी रांदल तोड़े

।। चौपाई ।।

वन्दु गजानन्द विघ्न हर, सरस्वती लागु पाय

वाणी आपो शारदा , “माँ” रांदल गुण गवाय

नमुन्नरनदे भावथी , करजो माँ स्वीकारो।

नामुंजगदम्बा मातने , जगनी तारण हार ।

नमु रवि रांदल होसथी, दुखायाना दातार।

नमू तुजने माँ प्रेम थी, करजे तू स्वीकार।

जय रांदल माँ जय मोरी मात, भजता रांदल तळटी घात,

नमू रान्नादे दुःख हरनार, बालक विनवे बारंबार,

तात तमारा विश्व ज कर्मा, मात तमारा रानी धर्मा,

सान थकी समजावे सार, नाम धर्यु सज्ञा निरधार,

शक्ति थी करवाने सात, धरती पर आव्या छे मात,

हतो त्यारे भयानक काळ, कोण कोनी ले क्या संभाळ,

वाचाकिन ‘सज्ञा’ ने काज, पूज्य भाव जाग्यो छे आज,

पशु पालन सौ लाड करे, ‘सज्ञा’ सौना कष्ट हरे हरे,

वृष्टि कीधी अपरंपार, रघुन भक्तने कष्ट लगाड,

परचा थी पुजाणा मात, रांदल बन्या जग विख्यात,

अंध वृद्धने आपी आँख, ते नर पाम्यो जाणे पांख,

रक्तपितनी वृद्धा रोगी, तेने करी पळमा निरोगी,

कीधो छे दड़वामा वास, पूरी कीधी सौनी आश,

काळ काळ नी रीते जाय, ‘सज्ञा ‘ रांदल थई पुजाय,

रांदलना परचा पंकाय, सूर्य देव पण मोहित थाय,

पति पत्त्नी रवि रांदल थाय, देवो सघळा बहु हरखाय,

पतिव्रता छे रांदल नार, भूख दुःखनो वैठे भार,

रांदल विनवे स्वामी दयाल, साकर जळथी बनो कृपाळ,

रवि कहे हु छू लाचार, कारण जगना पालन हार,

करी कसौटी पाम्या श्राप, करे हृदयमा पश्वाताप,

तेज पतिना सहन न थाय, रांदल माँ मनमा मुंजाय,

निज छाया कृति रचना थाय, सति पिता घेर पाछा जाय,

जाणी वात थयो आघात, खिन्न थया छे रांदल तात,

तात कहे ऐं सुशिल नार, छोडे ना जे निज भरथार,

भुल पोतानी पाम्या सती, खेद थयो छे दिलमा अति,

मृत्यु लोकनी लीधी वाट, शामाववाने दिलनी उचाट,

घोडी रूप धर्यु तत्काल, तपस्विनी थई टाळी जाल,

छायानो पण खुल्यो भेद, जाणी थयो रवि राजने खेद,

प्रायश्चित करवाने काज, श्वसुर गृहे आव्या रवि राज,

अधिक तेज ने समतल किधु, अश्वतणु रूप धारी लिधु,

आव्या छे रांदल नी पास, उभरा करे छे ‘भू’ पर वास,

अश्व अश्वनी रुप अपार, पृथ्वी उपर कर्यो विहार,

सूर्यलोकना सुख अपार, रांदल करे मनमा रे विचार,

पृथ्वी पर थयु स्वामी मिलन, ऋण चुकववाने आतुर मन,

भू पर कीधो माँ ऐ वास, तेनो छे अमर इतिहास,

खोळानो खूंदनार देनारी, तुज पर जाऊ वारी वारी,

अलूण तप थाय मान मान्यू, सीमंत उपवीत लग्न शुभ काम,

पूजे रांदल सुख संतति पामे, इलोरगढ शुभ शीतळ धामे,

सवंत विस चुमालिस नामे, माँ रांदल चालीसा जो गाय,

उपनामे रांदल आनंद कहेवाय, बेनी ने दे माता भात,

नमु नमु हु रांदल मातने, रांदल तेडे जे नरनार,

तेना दुःख दूर करे माँ रांदल, भाव थकी रांदल चालीसा करशे,

तेना दुखडा माँ रांदल हरशे, भूल चुक माडी माफ करो,

नमु तमने कष्ट हरो.

।। दोहा ।।

मनस अगन करवा शमन, रवि रांदल धर ध्यान,

इच्छीत फळ ते आपशे, नवल नी वधे ज्ञान ने शान,

बोलो रांदल मात की जय

रंदल माँ चालीसा हिंदी में पढ़े - रंदल माँ चालीसा

श्री रंडल माता चालीसा Randal Maa Chalisa

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