।। दोहा ।।
जग जननी मातेश्वरी राय ओसिया नाम।
चामुंडा नव दुर्गा तणी करू मात गुणगान॥
माँ सच्चियाय रचनाकरी प्रतिमा वीर जीण।
नन्द रत्न प्रभुसूरीश्वर कृपा करो मान करे आनंद॥
।। चौपाई ।।
जय जय ओसिया मात भवानी। रत्न प्रभुसूरीश्वर कीर्ति बखानी॥
ओसिया नगरी धाम निरालो। स्वर्ण सिंहासन माँ आप बिराजो॥
चन्द बदन रूप है न्यारो। कोटिक सूर्य सम तेज है थारो॥
सहस्त्र भुजा में शस्त्र है साजे। नव हथ केहरि मात बिराजे॥
सच्चियाय सत्य माँ वेद बखानी। अलौकिक आभा जग जानी॥
उप्पल देव पर माँ ने मेहर कराई। अरबो की माया बतलाई॥
पहले मंदिर मेरा बनवाना। फिर भवन की नींव लगाना॥
सच्चियाय शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी। चंद्रघंटा कूष्मांडा राणी॥
सच्चियाय स्कंदमाता कात्यायनी। कालरात्रि सिद्धिदात्री गौरी॥
उमा रमा ब्राह्मणी वरदा। मातृ रूप तुम पालन करता॥
ज्योति पूंज शरणागत थारी। अखंड ज्योति ज्वाला बलकारी॥
एक हुंकार असुर संहारे। सिंह गरज दानव बहु मारे॥
सब देवन मिल तुम्हे पुकारा। कर में खड्ग नेत्र अंगारा॥
चंड-मुंड महिषासुर मारा। शुंभ-निशुंभ रक्तबीज सहारा॥
असुर संहारे अट्हास है करती। दानव दल का नाश है करती॥
भूत-पिशाच निकट नहीं आवे। सच्चियाय-सच्चियाय नाम सुनावे॥
बजरंग भैरु आगे लारे। डाकिनी साकिनी की बाधा टारे॥
अशुभ कर्म माँ निपट सतावे। करुण पुकार सुन माँ दौड़ी आवे॥
मेरी बेर विलंब के ही कारण। अधम पातकी एही वस कारण॥
सुर मुनि मोहिनी तुम मतवाली। भक्त जनन की बाधा टाली॥
तेरी शरण में माँ आन पड़ा हूँ। हाथ जोड़कर खड़ा हूँ॥
जग जननी जग तेरे शरणे। माँ आवो दुःख हरने॥
सुनो सुनो ऐ मात भवानी। बल बुद्धि माँ देवो महारानी॥
इन्द्रादिक देव ध्यान धरे हैं। योगी यति गुणगान करे हैं॥
तीनों लोक तुम्हारे चरणा। सब पर कृपा मात तुम करना॥
ऋषि मुनि साधक सब आते हैं। करके साधना वर पाते हैं॥
ब्रह्मा विष्णु महेश गुण गाते। नारद शारदा ढुलाते॥
सुख शांति शक्ति की दाता। तीन लोक विख्याता॥
सच्चियाय-सच्चियाय सुख का सागर। धन्य होयो माँ तुझको पाकर॥
सच्चियाय लक्ष्मी नाम आधार। सिमरन से उतरे भव पार॥
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता। लक्ष्मी रूप धरो सच्चियाय माता॥
मंत्राक्षर सम नाम है सच्चियाय। भक्तों का जीवन प्राण है सच्चियाय॥
नमो नमो माँ सहस्त्र रुपाली। एक शक्ति माँ बहु नामाली॥
मुगल तेरे माँ चरणे आया। सोने का तेरे छत्र चढ़ाया॥
सिंह चढ़ी झट आवो माई। मम ओगण अब देखो नाही॥
दुखिया को सुखिया कर दाता। तेरा जग में मान बढ़ेगा माता॥
दुष्ट सताये आप उबारो। तुझ बिन मेरो कौन सहारो॥
पल-पल बीते वर्ष बराबर। सच्चियाय धीर बंधावो आकर॥
आवो आवो माता सच्चियाय। कुंकुं केसर चरणा रचिया॥
थारो यश चालीसा माही। रक्षा कवच की मर्यादा याही॥