सेवक की सुन मेरी कुल माता, हाथ जोड़ हम तेरे द्वार खड़े ।
धुप दीप नारियल ले हम, माँ नागणेचियां के चरण धरे ॥
क्षत्रिय कुल राठौडो की माँ, हो खुश हम पर कृपा करे ।
नागणेचियां माँ को नमन् है, कष्ठ हमारे माता दूर करे ॥
नाग रूप धर कर माँ, तुमने राव धुहड़ को आदेश करे ।
कलयुग में कल्याण करण को, माँ तुमने विविध रूप धरे ॥
कृपा द्रष्टि करो हम पर माँ, तेरी कृपा से हो वंश हरे भरे ।
दोष न देख अपना लेना, अच्छे बुरे पूत हम तवरे ॥
बुद्धि विधाता तुम कुल माता, हम सब का उद्धार करे ।
चरण शरण का लिया आसरा, तेरी कृपा से सब काज सरे ॥
बांह पकड़ कर आप उठावो, हम तो शरण तेरी आन पड़े ।
जब भीड़ पड़े भक्तों पर, माँ नागणेचियां सहाय करे ॥
नागणेचियां की आरती जो गावे, माँ उसके भण्डार भरे ।
दर्शन तांई जो कोई आवे, माँ उसकी मंशा पूरी करे ॥
कुलदेवी को जो भी ध्यावे, माँ उसके कुल में वृद्धि करे ।
कलि में कष्ठ मिटेंगे सारे, माँ की जो जय जयकार करे ॥
राठौड़ कुळ ले विन्नति , हाथ जोड़ तेरे द्वार खडा ।
धुप दीप और नारियल ले , माँ तुम्हारे चरण पडा ॥