।। चौपाई ।।

जय जय जय मच्छर बलशाली , काला तन और भुजा काली ।

तीखे तीखे सूंड़ तिहारे , सतत चूससे रक्त हमारे ।

भेद भाव तुम्हें नहीं भाये , सब पर सम किरपा बरसाये ।

कुटी महल सब एक समाना , हर घर में है आना जाना ।

राजा हो या रंक भिखारी , हर मानव पर किरपा भारी ।

भक्ति भाव का खेल रचाते , रक्त सभी का एक मिलाते ।

जोगन हो या कोई जोगा , सबने दंश तुम्हारा भोगा ।

सौ रोगों के बनते कारन , हरते जाँ बस आनन फानन

अरज किसी क़ी कभी न सुनते , सबको हीन बहुत हो गुनते ।

बनते तुम हो अति दुखदायी , तुम ना करते कभी भलाई ।

डंकन में तुम्हरे विष ब्यापे , नाम मात से मानव काँपे ।

चिकनगुनिया और मलेरिया , तुम देते सबको फायलेरिया ।

कूड़ा करकट वास तिहारे , गंदा जल लगते अति प्यारे

अंधेरे पर वर्चस्व तुम्हारा , डरता तुमसे मानव सारा ।

भिनभिन भिनभिन गान सुनाते , गान सुनाकर सबै डराते ।

भैंस बराबर काला अच्छर , काले होते सारे मच्छर ।

भेदभाव ना तुम्हें सुहाये , सबको एक समान सताये ।

गोरी चमड़ी हो या काली , तुम खाते हो भर भर थाली ।

तेरा चुंबन बड़ा सताये , नाजुक नाजुक वदन सुजाये ।

हाय ! तुम्हारी अक्षुण वाहिनी , बनकर आती परम घातनी ।

तुम्हरे रहते चैन न पावें , रात रात भर नैन जगावे ।

साम दाम औ दंड विवेका, तुम्हरे आगे लगते नेका ।

काम नहीं अब ये भी आवे , आल आउट न तुम्हें डरावे ।

आये थे बन बड़े लडैया , हारे देखो मार्टिन भैया ।

रोके तुम्हरी जो मनमानी , जय मच्छरदानी महरानी ।

इनसे बेबस तुम हो जाते , आकर इनमें काल समाते ।

मरते मरते ज्ञान सिखाते , हमरी गलती हमें बताते ।

कैसे घर तुमको मिल जाता , मानव कचरा न यदि जमाता ।

मर जाती तुम्हरी भी नानी , ना मिलता जो गंदा पानी ।

सुनो सुनो ! मच्छर महराजा , सुनो ख़बर अब तुम ये ताजा ।

देखो हम ये कसम उठाते , सच्ची बात तुम्हें बतलाते ।

गंदा जल ना जमा करेंगे , तुम्हरे हाथ न मरा करेंगे ।

जो भी समझे खेल तमाशा , अंत करे वो जीवन आशा ।

कूड़े कचरे का करे निवारण , मरे न कोई कभी अकारण ।

कहत ‘कुमार’ सुनो नर नारी , हरे विपदा ये सभी भारी ,

मसक चलीसा जो नर गाये , मसक कभी ना उन्हें सताये ।

मचर चालीसा हिंदी में पढ़े - मचर चालीसा

श्री माचर चालीसा Machar Chalisa

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