।। दोहा ।।
जय कात्यायनी माँ, जय महिषासुर मारिणी।
सुर नर मुनि आराधित, जय मंगल करिणी॥
।। चौपाई ।।
जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय महिषासुर घातिनी दानी॥
ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी ध्यावैं। शक्ति शक्ति सब जगत बनावैं॥
रक्तदंतिका और अन्नपूर्णा। माँ कात्यायनी हैं सम्पूर्णा॥
कात्यायन ऋषि मुनि के आश्रय। कात्यायनी मां सबके बासय॥
भय, संकट हरिणी तुही माता। भक्तों के दुःख हरती आपा॥
जो कोई तुझको शरण में आवे। मनवांछित फल वह नर पावे॥
ध्यान धार जो कोई नारी। कात्यायनी पूर्ण सुखकारी॥
कुमारी पूजा जो नित ध्यावे। अविवाहित जीवन न बितावे॥
हर युग में माँ तू सहाय। जो भी भक्त करें मन लाय॥
कात्यायनी माँ तेरी महिमा। सतयुग त्रेता हो या द्वापर॥
सिंह सवारी मां भवानी। जय जय जय अंबे भवानी॥
।। दोहा ।।
कात्यायनी जी की जो करे आराधना।
कभी ना हो भक्त को दुःख साधना॥