।। दोहा ।।
नमो नमो श्री केतु सुखकारी। कष्ट हरो संताप हमारे॥
जयति जयति श्री केतु महराजा। भव बंधन से सबको त्राजा॥
।। चौपाई ।।
जयति जयति केतु देव दयाला। सदा भक्तन के संकट हारा॥
केतु देव छाया ग्रह जाने। सभी ग्रहों का दोष मिटाने॥
सिर कटा पर धड़ ना छोड़ा। अमृत पान किया संत मोड़ा॥
राहु केतु संग्राम मचाया। देवताओं को भी डराया॥
भानु ग्रास चंद्र को धाया। सभी ग्रहों पर प्रभाव दिखाया॥
केतु ग्रह दुष्ट नरक सँसारा। सभी संकटों को दूर भगानेवाला॥
केतु देव की महिमा भारी। सभी ग्रहों में केतु न्यारे॥
केतु ग्रह का प्रभाव हटावे। सभी जनों को सुख दिलावे॥
कालसर्प दोष भी टारे। केतु चालीसा जो जन गावे॥
केतु ग्रह के मंत्र जपे जो। जीवन में सब सुख पावे सो॥
शत्रु से जो भयभीत होवे। केतु देव का ध्यान धरावे॥
केतु देव की शरण जो आवे। सभी कष्टों से मुक्ति पावे॥
केतु देव का ध्यान लगावे। जीवन में सुख शांति पावे॥
केतु देव का यश गावे। सभी संकट दूर भगावे॥
भक्ति भाव से केतु देव को। जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
सभी संकट, कष्ट मिटावे। केतु देव कृपा बरसावे॥
केतु देव की शरण जो आवे। जीवन में सभी सुख पावे॥
केतु देव का यश गावे। सभी संकट दूर भगावे॥
कृपा दृष्टि केतु देव की। जो भी भक्त मन में ध्यावे॥
केतु देव के चरणों में। सभी भक्त शीश नवावे॥
केतु देव की महिमा न्यारी। सभी ग्रहों में केतु भारी॥
सर्पाकार केतु देव का। जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
केतु ग्रह का दोष मिटावे। सभी जनों को सुख दिलावे॥
कृपा दृष्टि केतु देव की। सभी भक्तों को सुख पावे॥
केतु देव का ध्यान धरावे। जीवन में सुख शांति पावे॥
केतु देव का यश गावे। सभी संकट दूर भगावे॥
भानु चंद्र जो केतु ग्रसे। सभी ग्रहों पर केतु बसे॥
केतु देव की महिमा न्यारी। सभी ग्रहों में केतु भारी॥
सर्पाकार केतु देव का। जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
केतु ग्रह का दोष मिटावे। सभी जनों को सुख दिलावे॥
भानु चंद्र जो केतु ग्रसे। सभी ग्रहों पर केतु बसे॥
केतु देव की महिमा न्यारी। सभी ग्रहों में केतु भारी॥
सर्पाकार केतु देव का। जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
केतु ग्रह का दोष मिटावे। सभी जनों को सुख दिलावे॥
भानु चंद्र जो केतु ग्रसे। सभी ग्रहों पर केतु बसे॥
केतु देव की महिमा न्यारी। सभी ग्रहों में केतु भारी॥
सर्पाकार केतु देव का। जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
।। दोहा ।।
नमो नमो श्री केतु सुखकारी। कष्ट हरो संताप हमारे॥
जयति जयति श्री केतु महराजा। भव बंधन से सबको त्राजा॥
|| इति संपूर्णंम् ||