।। दोहा ।।

श्री गणेशाय नमः।

जय जय जय कार्तिकेय, शंकर-सुवन कृपाल।

शिवदत्तं सुत तेहि, तात मेटहु सब विकार।।

।। चौपाई ।।

जय जय श्री कार्तिकेय स्वामी। जय शिवसुत, भक्त सुखधामी॥1

महिमा अपार आपकी गाई। संतन को शक्ति प्रभु पाई॥2

शिव शिवा तनय बालक प्यारे। कार्तिकेय सुखधाम हमारे॥3

ध्वजा धारण कर दुर्जन मारो। भक्तों का दुख हरन निवारो॥4

गजमुख दैत संहारक तुम्ह हो। तारकासुर विदारक तुम्ह हो॥5

मोदक प्रिय, मन भायो भोजन। कुमुद पाठ प्रिय, भव रंजन॥6

सिंह वाहिनी, ध्वजा तुम धारी। दुष्टों का दल करहो संहारी॥7

शिव के सुत तुम, शक्ति के धाम। जय कार्तिकेय, जय जय नाम॥8

सुमुख नंदन, तारक भ्राता। शिव समान सदा सुजाता॥9

मातु पार्वती तव नाम पुकारे। पुत्र सखा सबहि उबारें॥10

शक्ति रूप हो, विनायक भ्राता। शिव-शिवा के, कुल के गाता॥11

पार्वती के पुत्र प्यारे। तारकासुर विदारक न्यारे॥12

भक्तों के तुम बिपत्ति हरो। जय जय जय कार्तिकेय करो॥13

गणपति के प्रिय, तारक नंदन। शिव शिवा के लाड़ले बंदन॥14

तारकासुर का संहारक तुम हो। दुष्टों का दल हारक तुम हो॥15

करहु कृपा हम पर प्रभु प्यारे। सकल दुखों को हरनवारे॥16

जय जय श्री कार्तिकेय भगवान। सदा सुखधाम, सब दुख निधान॥17

।। दोहा ।।

शरणागत जन नाथ तुहि, सेवक सेवक दास।

करुणा करि रक्षा करो, श्री कार्तिकेय त्रिनाथ।।18

कार्तिकेय चालीसा हिंदी में पढ़े - कार्तिकेय चालीसा

श्री कार्तिकेय चालीसा Kartikeya Chalisa

Download Kartikeya Chalisa PDF