ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि, सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥ अंधड़नि खे दिनव,
अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं । पाए मन जूं मुरादूं,
सेवक कनि थारू ॥ ॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥ ज्योति जगे थी जगु में,
लाल तुहिंजी लाली । अमरलाल अचु मूं वटी,
हे विश्व संदा वाली ॥ ॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥