।। दोहा ।।

वर्ष दो हजार इकसठ, नवरात्रा मधु मास।

जमुवा चालीसा रचा, यह कुबेर तव दास ।।

।। चौपाई ।।

माँच गाँव था नाम पुराना। नाथू मीणा का रजधाना।।

एकदश अड़तीस बरस मानों। दुलहराय फौजा ले आनो।।

मीणा संग जंग मचि भारी। फौजों हारि दुल्ह की सारी।।

रण खेत गिरा दुल्हा राजा। जीत मीणा बजाया बाजा।।

विजयोत्सव सब लोग मनाया। मदिरा पीकर सब पगलाया।।

राजा दुल्हराय की रानी। जब जानी पराजय कहानी।।

दुःख हुआ रानी को भारी। माल भवानि हि जाय पुकारी।।

माता मेरी राखो लाजा। रण में पड़े पुत्र तव आजा।।

अब आकर तुम सबहि बचाओ। कुल देवी रूपहि पुजवाओ।।

सुन पुकार रानी की सारी। बट के नीचे मात पधारी।।

धीरज धारो अब तुम रानी। दूर होवेगी परेशानी।।

घेनुरूप अब मेरा होगा। पय मेरा संजीवन होगा।।

अपनी सेना पर छिड़कना। जगा सबहिं फिर जंग कराना।।

धेनु रूप से माता आई। रानी ने सेना जगवाई।।

कछवाहा वीर दुल्हराई। जा मीणा सों लड़ी लड़ाई।।

मदहोशी मीणा थे सारे। अब की बार लड़ाई हारे।।

मीणा राज राय ने पाया। माच गाँव नामहि बदलाया।।

कछवाहों के कुल प्रभु रामा। माँच हि रखा रामगढ़ नामा।।

पडी फौज उठ ली जमुहाई यों हुई कुल मात जमुवाई।।

कछवाहाँ की यह कुल माता। त्रेता माहिं हरसिद्धि माता।।

द्वापर युग जब दूजा। बड़वाय माता नाम पाया।।

कलि में कछवाहाँ की माता। जब हो तेरी जमुवा माता।।

जमुवारामगढ़ है सुहाना। पावन धान माँ का पुराना।।

पर्वत वीव सुमन्दि भारी। सुछटा जिसकी सबसे न्यारी।।

दुल्हराय ने इसे बनाया। कछवाहा कुल में यश पाया।।

दरशन ताहि नित लोग आवे। भात पकाकर भोग लगावे।।

कछवाहाँ के कष्ट मिटाओं। विपदा में भी आन बचाऔं।।

वर वधु माँ को धोक लगाये। माँ यह जोड़ी सुखी बनावे।।

कर मण्डन शिशु शीश झुकावे। माँ उसे सदा स्वस्थ बनाये।।

शुद्ध भाव से जो गुण गायें। दुःख दरिद पास नहीं आये।।

ध्यान धरे तेरा मन लाई। जन्म जन्म के पाप नशाई।।

शत्रु नाश कर जमुवा माता। तुम हो तीन लोक सुखदाता।।

अमित अपार आपकी महिमा। हो अनुभव जब आवे सीमा।।

चरण शरण जमवा की आवे। मनवांछित फल वह नर पावे।।

जा पर कृपा मात की होई। सकल पदास्थ करतल होई।।

जो चालीसा का पाठ करे। उसके मन में नित मोद भरे।।

मूरख जन मन में शंका लाये। अपनी करणी यह पछतावे।।

शुद्ध भात को भोग लगाये। उसके घर में लक्ष्मी आवे।।

जय जय हो कुलमाता तेरी। स्वीकारें अब सेवा मेरी।।

।। दोहा ।।

भूल चूक सब माफ कर, भाव सुमन लें माIII

पूत कपूत हो जात है, मात न होत कुमात।।

जय श्री जमवाय माता

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श्री जामवे माता चालीसा Jamway Mata Chalisa

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