आरती जय जम्भेश्वर की परम सतगुरू परमेश्वर की । टेर।

गुरूजी जब पीपासर आये, सकल संतों के मन भाये

देवता सिद्ध मुनि दिग्पाल, गगन में खूब बजावे ताल

हुआ उच्छाह, लोहट नर नाह, मगन मन माह

देव छवि निज सुत सुंदर की । आरती जय…… ।1।

परम सुख हंसा मन मांहि, प्रभु को गोदी बैठाई

नगर की मिली सब नारी, गीत गावे दे दे तारी

अलापे राग, बड़े हैं भाग, पुण्य गये जाग

धन्य है लीला नटवर की। आरती जय…… ।2।

चराने गौवों को जावे, चरित्र ग्वालों को दिखलावे

करे सैनी से सब काजा, कहावे सिद्ध श्री जम्भ राजा

रहे योगीश, भक्त के ईश, गुरु जगदीश

पार नहीं महिमा प्रभुवर की। आरती जय…… ।3।

गुरुजी फि र समराथल आये, पन्थ श्री बिश्रोई चलवाये

होम जत तप क्रिया सारे, देख सुर नर मुनि सब हारे

किया प्रचार, वेद का सार, जगत आधार

सम्मति जिसमें विधि हर की । आरती जय…… ।4।

गुरुजी अब सेवक की सुणियों, नहीं अवगुण चित्त में धरियो

शरण निज चरणों की रखियो, पार नैया भव से करियो

यही है आस, राखियो पास, कीजियो दास

कहूं नित जय जय गुरुवर की । आरती जय…… ।5।

श्री जंभेश्वर जी की आरती - Jambheshwar Aarti

Jambheshwar Aarti - श्री जंभेश्वर की आरती

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