।। दोहा ।।
दत्तगुरु के चरणों में, मेरा कोटि प्रणाम ।
रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।।
रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण ।।
।। चौपाई ।।
जयति जयति दत्तात्रेय, स्वामी दिगम्बर जय ।
आदि ब्रह्मा, मध्यम विष्णु, देवा महेश्वर जय ।।
जयति जयति त्रिमूर्ति रूप, भव बाधा हरते जय ।
सहज प्राप्ति हर हर जय, शुभ फल सुख देते जय ।।
जयति जयति अनसूया नन्दन, परम गम्भीर प्रभु जय ।
हर कृपा कर सरसिज पद, भक्तों को सुख देते जय ।।
श्रीगणेश, श्रीशारदा, लक्ष्मी सहित शिव जय ।
सतगुरु चरन, कमल सेवा, भव निधि से त्राण कर जय ।।
सिर झुकाये, हाथ जोड़े, करें भक्ति प्राण जय ।
त्रिभुवन में, प्रकट प्रभु दत्त, ब्रह्मानन्द स्वरूप जय ।।
गुरु गम्भीर, कृपा सागर, कर जोड़ों चरणारविन्द ।
शरणागत, रक्षण कर्ता, रखों हमारी लाज प्रभु ।।
श्रीदत्तात्रेय प्रभु, कृपाकर, सदा सहाय रहो प्रभु ।
भक्तिवान, दुःख से त्राण, सदा सबन का करें कल्याण प्रभु ।।
कर भरोसा, मन में आस, स्वामी सुखदाता जय ।
मति हमारी शुद्ध कर प्रभु, दोष, दुष्कृत मिटा प्रभु ।
ध्यान लगायें, चित्त मनायें, श्रीदत्त कृपा से प्रभु ।
भक्त गण, करें सुमिरन, सदा सहाय हो प्रभु ।।
जयति जयति दत्तगुरु, ब्रह्मानन्द दाता जय ।
अघनाशक, त्रिविक्रम देव, ज्ञान भक्ति दो प्रभु ।
सुमिरन से भव-बन्धन, से सदा मुक्त रहें प्रभु ।
त्रिविध ताप, मिट जायें प्रभु, अन्त करण सुधीर हो प्रभु ।।
श्रीदत्त शरणं, मोक्ष सुलभ, भव सागर से त्राण हो ।
भव-भय हारक, सतगुरु, कष्ट निवारक हो प्रभु ।
शरणागत, मोक्ष प्रदायक, सुलभ सरल करते प्रभु ।
करुणामय, सन्तत हर्षायें, भव से मुक्ति हो प्रभु ।।
श्रीदत्तात्रेय शरणं, भव बाधा हरण प्रभु ।
श्रीदत्तात्रेय शरणं, पाप-ताप-त्रय हरण प्रभु ।
श्रीदत्तात्रेय शरणं, मन में आस लगायें प्रभु ।
भक्तजन, करें स्मरण, सदा सहाय हो प्रभु ।।
जयति जयति दत्तगुरु, सर्व रोग हरते प्रभु ।
जयति जयति दत्तगुरु, पाप-ताप निवारक प्रभु ।
जयति जयति दत्तगुरु, करुणा कृपा निधान प्रभु ।
जयति जयति दत्तगुरु, जगत तारन प्रभु ।।