पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् ।

निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥

शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् ।

वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥

॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ शक्ति गौरी गणेश शारद,

नारद मुनि उच्चारणम् । जोग ध्यान अपार लीला,

श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम् ।

सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥

॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ यक्ष किन्नर करत कौतुक,

ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम् । श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल,

श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम् ।

राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥

॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ श्री बद्रजी के पंच रत्न,

पढ्त पाप विनाशनम् । कोटि तीर्थ भवेत पुण्य,

प्राप्यते फलदायकम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् ।

निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥

श्री बद्रीनाथ जी की आरती - Badrinath Aarti

Badrinath Aarti - श्री बद्रीनाथ की आरती

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