ॐ जय श्री जगतारण, स्वामी जय जय श्री जगतारण |
शुभ मग के उपदेशक, शुभ मग के उपदेशक,
यम – त्रास निवारण || ॐ जय श्री जगतारण ||
परमारथ हित अवतार जगत में, गुरु जी ने है लीन्हा;
मेरे स्वामी जी ने है लीन्हा | हम जैसे भागियन को,
हम जैसे भागियन को. गृह दर्शन दीन्हा ||
ॐ जय श्री जगतारण || कलि कुटिल जीव निस्तारण को,
प्रभु सन्त रूप धर के; स्वामी सन्त रूप धर के |
आतम को दर्शावत, आतम को दर्शावत,
मल धोये है मन के || ॐ जय श्री जगतारण ||
आप पाप त्रय-ताप गये, जो गुरु शरणी आये;
मेरे स्वामी शरणी आये | गुरु जी से लाल अमोलक,
स्वामी जी से लाल अमोलक, तिस जान ने पाये ||
ॐ जय श्री जगतारण || सहज- समाधी, अनाहत-ध्वनि,
जप अजपा बतलाये: स्वामी अजपा बतलाये |
प्राणायाम की लहरें, प्राणायाम की लहरें,
मेरे मन भाये || ॐ जय श्री जगतारण ||
हरी किरपा कर जनम दियो, जग मात पिता द्वारे;
स्वामी मात पिता द्वारे | उनसे अधिक गुरु जी है,
उनसे अधिक गुरु जी है, भाव – निधि से तारें ||
ॐ जय श्री जगतारण || तले की वस्तु गगन ठहरावे,
गुरु के शबद शर से; सतगुरु के शब्द शर से |
सो सूरा सो पूरा, सो सूरा सो पूरा,
बल में वह बरते || ॐ जय श्री जगतारण ||
तत-स्नेह, प्रेम की बाती, योग अगन जिनके;
स्वामी योग अगन जिनके | आरती लायक सो जन,
आरती लायक सो जन, जो है शुद्ध मन के ||
ॐ जय श्री जगतारण || श्री परमहंस सतगुरु जी की आरती,
अष्टपदी रच के; स्वामी अष्टपदी रच के |
‘साहिबचन्द’ ने गाई, तेरो दास ने गाई,
पद रज सज करके || ॐ जय श्री जगतारण ||
जय श्री जगतारण || मैं वारी जय जय श्री जगतारण ||
बलिहारी जय जय श्री जगतारण || सतगुरु जी जय जय श्री जगतारण ||
भगवन जी जय जय श्री जगतारण || शुभ मग के उपदेशक,
शुभ मग के उपदेशक, यम – त्रास निवरण ||
ॐ जय श्री जगतारण ||